खामोशी की आहट
एक आहट पर दौड़े चलें जाते हो,
कौन है उस वीरान जगह में,
दिखाई तो कोई देती नहीं,
और तुम्हे उसकी आवाज सुनाई पड़ती है,
कैसी आहट है?
उसकी खामोशी से भी प्यार है तुम्हें।
तेज़ हवाओं का रुख,
शीतल बूंदो की हल्की बौछार,
भिगो रहे हो अपने जिस्म को,
पागलपन पे उतारू हो,
किसकी आने की आहट है ?
उसकी ख़ामोशी से भी प्यार है तुम्हे।
काले केशुओ-सा अँधेरा बढ़ रहा है,
वृक्ष के पत्तों की सरसराहट में झन्कार ,
कैसे महसूस करते हो दिल से,
खोयी हुई उसके आवाज को,
आहट है वहीं मुलाकात की,
उसकी ख़ामोशी से भी प्यार है तुम्हे।
मन को तुम्हारे झकझोर रहा है,
इस कदर बेचैनी तुम्हारे अंदर ,
मिलने की तृप्ति प्यासी धरा सी,
असमय ही वर्षा की आहट खोज रही,
उसकी ख़ामोशी से भी प्यार है तुम्हे।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।