खाने में थूक! छी
थूक मूत सब जायज हुआ है जमाने में।
खुले आम अब करें मिलावट खाने में।।
बेशर्मी से नेता करें बचाव ऐसे कुकर्मो का।
आप बताएं क्या करें जनता इन बेशर्मों का।।
भोजन में थूक मिलाने को, क्या संविधान कहता है।
या अपराधी कृत्य छुपाना सेकुलर मन में रहता है।।
समाज को उठना होगा, निर्णय दो टूक का करना होगा।
जायज कहने वालों के घर, मूत व थूक ही भेजना होगा।।
दिशाहीन विक्षिप्त जनों को, अब तो सबक सीखाना होगा।
हम क्यों खाएं बोलो “संजय” सेकुलर मन को खाना होगा।।