खादी पर नित लग रहे , तरह तरह के दाग ।
खादी पर नित लग रहे , तरह तरह के दाग ।
लेकिन जनता के लिए , अच्छे दिन के राग ।।
अच्छे दिन के राग , लगा वाचाली साबुन ।
निर्मल करते वस्त्र , भले अंदर से जामुन ।
जुमलों की बरसात , हो गयी जनता आदी।
रोते गांधी रोज ,देखकर दूषित खादी ।।
सतीश पाण्डेय