खाक मुझको भी होना है
खाक मुझको भी होना है खाक तुझको भी
जरा ये तो बता तेरा-मेरा खुदा अलग क्यों है
ख़ाक मुझको भी होना है…………
मैं हिन्दू हूं तूं मुस्लिम है बता कहां पर लिखा
तेरे दिल पर दिखा या तो मेरे दिल पर दिखा
और सब भ्रम है खेल है ना भरमा खुद को
ख़ाक मुझको भी होना है…………
मंदिर मस्जिद पर भला तुम झगड़ते क्यों हो
छोड़ इंसानियत एक दूसरे से लड़ते क्यों हो
और सब भ्रम है खेल है ना भरमा खुद को
ख़ाक मुझको भी होना है…………
गीता कुरान कब किससे नफरत सिखाती है
गुरुग्रंथ बाईबल भी सबको नेकी दिखाती है
और सब भ्रम है खेल है ना भरमा खुद को
ख़ाक मुझको भी होना है…………
क्यों बंट रहे हैं हम यहां मज़हब के नाम पर
लोग सेंकते हैं रोटियां हमारी इसी आन पर
और सब भ्रम है खेल है ना भरमा खुद को
ख़ाक मुझको भी होना है…………
‘V9द’ कर्म कर ये बात सभी धर्म कहते हैं
जिसे ढूंढते फिरते वो कण-कण में रहते हैं
और सब भ्रम है खेल है ना भरमा खुद को
ख़ाक मुझको भी होना है…………