-खाकर कसम में कहता हु कुछ भी में ना कर पाता –
-खाकर कसम में कहता हु कुछ भी में ना कर पाता –
अगर तुम्हारे प्रेम जाल में ,
में अगर फस जाता ,
खाकर कसम में कहता हु,
में कुछ भी ना कर पाता,
एक सफल व्यवसायि बनने का ख्वाब ख्वाब ही रह जाता,
साहित्य में जो तीसरा शतक बनाया वो शतक न बन पाता,
वरिष्ठ साहित्यकारो के प्रेम को ना पाता,
जो प्रतिष्ठा , सम्मान आज जो मिल रहा,
उससे में वंचित रह जाता,
सही कहते है कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है,
तेरे प्रेम को खोकर में दुनिया के असीम प्रेम को न पाता,
कुछ खोया है तो बहुत कुछ पाया है पर,
अगर तुम्हारे प्रेम जाल में,
में अगर फस जाता,
खाकर कसम में कहता हु ,
में कुछ भी ना कर पाता,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क -7742016184