1. हिन्दुस्तान को पहचानो
जानो जनता जानो,
हिंदुस्तान को पहचानो ।
कभी कहलायी सोने की चिड़ियाँ,
कभी लग गई इन्हें जंजीरीयाँ ।।
एक समय वो ऐसा आया,
जिसने इसपर कोहराम मचाया ।
हँसती खेलती जनता लुटती,
देखकर कोई बोल न पाया ।।
हमसब तो कमाते थे,
वो लुटकर ले जाते थे ।
देश की रक्षा के चलते,
जंग भी लड़ जाते थे ।
सेना प्राण गँवाती थी,
फिर भी भाग न पाते थे ।।
कितनी मंदिरें टूट गयी,
कितने मस्जिद निर्माण हुए ।
बहुत प्रजा की जानें गयी,
बहुत प्रजा गुलाम हुए ।
कुछ राजा की जानें गई,
कुछ राजा गुलाम हुए ।।
कुछ ने तो इस्लाम कबूला,
कुछ हिन्दू धर्म पर अटल रहे ।
देशप्रेमी की जानें गई,
देशद्रोही तो सटल रहे ।।
कितनी मल्लिकाएँ रानी बनी,
कितनी बन गई दासियाँ ।
औरों की हुकुमत छायी,
छिन गया वो आसियाँ ।।
कितनी नारीयाँ यात्नाएँ सही,
कितनों ने लगा ली फासियाँ ।।
जानो जनता जानो,
हिंदुस्तान को पहचानो ।
कभी कहलायी सोने की चिड़ियाँ,
कभी लग गई इनको बेरियाँ ।
एक समय तो ऐसा आया,
जो दोनों पर प्रहार किया ।।
अंग्रेजों से डर के चलते,
सबने इसे स्वीकार किया ।
जहाँ तलवारें गोली चलती थी,
वहाँ बुद्धि से वार किया ।।
लेकर तो कुछ गया नहीं,
बल्कि देकर ही गया ।
सत्ता की लालच है ऐसी,
जिसने कितने घर तबाह किया ।
हजारों साल मुस्लिम किये,
तो दो सौ साल अंग्रेज किया ।।
देश आजादी के लिये,
न जाने कितने बलिदन हुए ।
कितनी माताओं की गोद सुनी हुई,
कितने लोग कुर्बान हुए ।।
आजाद, बोस, भगत, के बाद,
बहुतेरे नौजवान हुए ।।
जो राह चलते कहते हैं,
अब तो हम आजाद हुए ।
जानो जनता जानो,
हिंदुस्तान को पहचानो ।।
एक समय अब ऐसा आया,
जब भारत आजाद हुआ ।
हिंदुस्तान के टुकड़े हुए,
और भारत बर्बाद हुआ ।।
हिन्दुस्तान भी अलग हुआ,
और पाकिस्तान भी अलग हुआ ।
अंग्रेजों को भगा दिया,
मुस्लिमों को बसा दिया ।
कुछ हिन्दुस्तान में,
तो कुछ पाकिस्तान में ।।
अंग्रेजों को भुल गया,
मुस्लिमों को कुबुल किया ।
जानो जनता जानो,
हिन्दुस्तान को पहचानो ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 26/01/2018
समय – 02 : 48 (दोपहर)