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31 May 2024 · 1 min read

“ख़्वाहिशें”

“ख़्वाहिशें”
ख़्वाहिशें इस कदर है,
अब तो जीना भी दूभर है।
इंसानियत मरती जा रही,
लगता ये कलयुग का असर है।

2 Likes · 2 Comments · 81 Views
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