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28 Jan 2018 · 1 min read

ख़ुद को ही ख़ुद का सगा कीजिये

आप चिढ़ते हैं मुझसे चिढ़ा कीजिये,
चिढ़के पर दोस्त-से मत दिखा कीजिये!
०००
बेवफ़ाई जो करनी,तो खुल के करें-
मैं ना कहता कि मुझसे वफ़ा कीजिये!
०००
दोस्ती चाहती सिर्फ़ सच्चा हृदय,
दोस्त से भूलकर मत दगा कीजिये!
०००
जिसने जन्मा तुम्हें जग में निज कोख से,
फर्ज उसके लिये कुछ अदा कीजिये!
०००
साथ देगा न कोई जगत् में ‘सरस’,
अब तो ख़ुद को ही ख़ुद का सगा कीजिये!
©सतीश तिवारी ‘सरस,नरसिंहपुर (म.प्र.)

1 Like · 202 Views
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