ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
टूटा हो जैसे कोई सितारा अभी अभी
जैसे किसी ने साँप के फन को कुचल दिया
अपनी अना को ऐसे ही मारा अभी अभी
ऐसा लगा वो शख़्स मेरे आस पास है
उसने ही जैसे मुझको पुकारा अभी अभी
ताउम्र के लिए जो मेरा हम-सफ़र है अब
उससे मैं कैसे कर लूँ किनारा अभी अभी
वो शख़्स अब तो मुझको मुक़म्मल ही चाहिए
होगा नहीं यूँ मेरा गुज़ारा अभी अभी
~अंसार एटवी