ख़ुदा बताया करती थी
आज जिसे मैं जमाने भर से छिपाया करती हूं,
एक रोज मैं उसे अपना आशिक बताया करती थी।
और मेरा हाल तक न पूछा जिसने तबियत बिगड़ने पर
उसे मैं हमेशा अपना खुदा बताया करती थी।।
यूं तराजू में तौला उसने मेरे इश्क को
मैं हर रोज उसके द्वारा आजमाया करती थी।
वो हर रोज दूर जाता था मुझसे
मैं हर रोज उसमे समाया करती थी।।
उसकी बेरुखी भी मुझे समझ नहीं आती,
मैं हर रोज उससे इश्क लड़ाया करती थी।
मुझे क्या पता वो बैगरत है मेरे लिए
और मैं उनकी सलामती की दुआ हर दर पर मांगा करती थी।।
मैं भी सोचती थी कि वो अगर याद करते थे मुझे
तो मुझे हिचकियां क्यों नहीं आया करती थी।
मैं तो ये भी ना समझ पाई की वो बददुआ करते थे मेरे लिए
शायद इसलिए मुझे सांसे भी रुक रुक कर आया करती थी।।
और जब समझ आया जब ये सब मुझे,
तो हर रोज मैं खुद को समझाया करती थी।
छोड़ दिया मैने दुआएं मांगना भी उनसे
जिसे मैं अपना खुदा बताया करती थी।।