ख़ामोश रहकर बोलते हैं रंग तस्वीर के
ख़ामोश रहकर बोलते हैं रंग तस्वीर के
राज़ कितने ही खोलते हैं ढंग तस्वीर के
एक उम्र लगा के आया है परिंदा मंज़िल पे
तंग आसमाँ भी रास्ते हैं तंग तस्वीर के
आँखों में उतरा जाए है हाय नशा इस क़दर
बहकी अदाओं से चूर हैं अंग तस्वीर के
बुलाओ बिजलियों को जला भी दे आशियाँ को
आलम-ए-बरसात में अंग हुए भंग तस्वीर के
ये हालात- ओ – ख़्यालात भी बदल जाएँगे
उतार पाएगा क्या कोई जंग तस्वीर के
खो न जाए ये रंग-ओ-बू सदाओं की तरह
दर – ओ – दीवार पे सजालो रंग तस्वीर के
दिखाए हैं नक्श-ए-पा आने वाली दुनियाँ के
यूँ चराग़-ए-रहगुज़र रही ‘सॅरू’ संग तस्वीर के