खर्राटा
खर्राटा
(हास्य व्यंग्य)
नवा नेवन्नीन खर्राटा मारत सुतगे ।
नवा खटिया के पाटी टुटगे
दूल्हा ओखर झकना के उठगे
पाटी ला बनावत बनावत पछिना छूटगे।
दूनो परानी उखरा मे सूत गे
नवा नेवन्नीन ………..
नवा नेवन्ननीन भिनसरहा ले उठगे
मुड़ पकड़ के कहीस मोर करम फुटगे ।
दूल्हा ला उठावत उठावत चूरी टूटगें।
खटिया ला बनावत बनावत दुसर पाटी टूटगें
दूल्हा भी उतारा मारके सूतगे ।
नवा नेवन्नीन…….
दुकलहा कहिस
ये खटिया तहा दिन के टूटहा हे
ये घर घलो भुतहा हे।
भुतके डर में नवा नेवन्नीन के खर्राटा छूटगे अऊ दूल्हा के उतारा उतरगे ।
नवा नेवन्नीन…..
अतका में भूत सहिच के आगे
दुनो परानी पल्ला भागे।
भूत कहिस अब मत जा आगे
ये सब लफड़ा देख नवा नेवन्निन भूत संग भागे।
दूल्हा भगवान से विनती करन लागे ।
नवा नेवन्नीन लहूट के आगे।
नवा नेवन्नीन …
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक जिला दुर्ग