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31 May 2023 · 1 min read

खनिक

अंधेरो से जब निकली किरणें प्रकाशित हुआ जीवन सारा
वसुंधरा के कोख में जाकर खोजे प्रकाश की उज्जवल धारा
सैनिक लगे रहते है सीमा पर लिये रक्षा का भार सारा
खनिक करता खानों में अपना उद्यम सारा
तब जाकर जीवन होता जगमग हमारा
कई कई बार जीवन की आहूति देता, फिर भी रहती दुनिया मौन
शहीदों की चर्चा होती पर इनकी सुध लेता कौन
जगमग रोशन करता है जाकर घुप्प अंधेरे से
देह स्वेद की धारा निर्मल , नित लिखती कथा नया
नये-नये आयाम गढ़े कीर्तिमानों की इबारत लिखे वो
फिर भी अस्तित्व, सम्मान की लड़ाई लड़ता वो
पहचान खोजता चकाचौंध की दुनिया में वो
एक खबर हमारी हो जाती , हमें भी पहचान कुछ ऐसी मिलती
हम भी अपना उधोग बताते, खनिक कहलाकर फूले न समाते
खुशी- खुशी खनिक कहलाते, खनिक कहलाते

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