खत
तुझे जो खत लिखे थे
आज भी निकाल पढ़े
छिपी एक अभिलाष
बस तुझे पाने की आस
एक एक शब्द जिसका
आभास देता था उसका
एक स्मृति थी जिसमें
बस तेरी तस्वीर उसमें
तुझे जो खत लिखे थे
आज भी निकाल पढ़े
छिपी एक अभिलाष
बस तुझे पाने की आस
एक एक शब्द जिसका
आभास देता था उसका
एक स्मृति थी जिसमें
बस तेरी तस्वीर उसमें