खत लिखा उनके नाम मैंने
आज रात एक ख्वाब देखा था मैंने
एक खत उसके नाम लिखा था मैंने।
लिखते लिखते ऑंखें झलक गई मेरी
तब कुछ आंसू की बुंदे खत से जा मिली।
लिखा था उस खत में कहानी अपनी मैंने
पता के जगह पर सिर्फ लिखा था भगवान मैंने।
सोची थी कल तक इसका जवाब आयेगा
पर अभी तक नहीं आया था जवाब इसका।
शायद वो भी टुट गया होगा पढ़ कर खत मेरी
रोया होगा वो भी पढ़ कर कहानी मेरी।
जब छलके होगे उसके ऑंखों से भी आंसू
तो बीच मे ही छोड़ दिया होगा पढ़ना खत मेरी।
भावना कुमारी