खता कीजिए
** गीतिका **
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शुष्क मौसम बहुत नम्रता कीजिए।
है यही एक छोटी खता कीजिए।
हर कदम तुम बढ़ाते चलो बेझिझक।
क्या सही क्या ग़लत यह पता कीजिए।
कष्ट सहना जरूरी बहुत है यहां।
इस लिए बस सहनशीलता कीजिए।
हैं विरोधी यहां हर समय हर जगह।
जो लगे कुछ भला मित्रता कीजिए।
स्वप्न देखे बहुत कुछ अधूरे रहे।
अब सभी कार्य में पूर्णता कीजिए।
शक्ति बढ़ती रहे है जरूरी बहुत।
साथ मिलकर सदा एकता कीजिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)