खंजर देख ना कटार देख
खंजर देख ना कटार देख
तू क़लम देख और धार देख
आई नहीं ख़बर इक तेरी
हर दिन आता अख़बार देख
दिल के दरीचे खोल के रख
खुद को तारों में शुमार देख
ले लिया है मुझसे पंगा
अब बचने के आसार देख
बुरा -बुरा सबको कहता है
पहले अपना व्यवहार देख
नहीं नौकरी बस की तेरे
चल कोई व्यापार देख
दिल लगाते वक़्त ना देखा
अब हर घड़ी इंतज़ार देख
बेटियों को खिलने दे फिर
घर आँगन में बहार देख
बाँट -बाँट कर खाया सबने
‘सरु’मुफ़लिसी में प्यार देख