#कविता//कड़वा सत्य जहान में
#कड़वा सत्य ज़हान में – उल्लाला छंद
दर्द पढ़ेगा कौन पर , व्यस्त सभी निज मान में।
फूट डाल कर लूटते , ध्यान नहीं ईमान में।।
चाहत वादे खोखले , जीते हैं अभिमान में।
ख़ून चूसते और का , अपने हित गुणगान में।।
आँसू देकर हँस रहे , कपट भरा मुस्क़ान में।
ज़िम्मेदारी रो रही , लापरवाही शान में।
वैभव की चाहत बढ़ी , नैतिकता नुकसान में।
किसके मन में क्या भरा , लुट आए पहचान में।।
कुछ अच्छे भी लोग हैं , खड़े सत्य मैदान में।
हीरा उनको मानिये , नूर कोयला खान में।।
राजनीति ही बाँटती , भेद भरे इंसान में।
लड़ें लोग पागल बने , नेताओं की आन में।
जनता धन को जोड़कर , नेता रहें गुमान में।
टुकड़ा फैंके एक तो , भरते दम अहसान में।।
गूँगे बहरे लोग हैं , प्रीतम तू नादान में।
समझा समझे कौन है ,कड़वा सत्य जहान में।।
#आर.एस.’प्रीतम’
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