क्योंकि मैं ऋषियों की संतान हूँ।
चाहे मुझे कितनों कोई परेशान करे,
चाहे मुझे कोई किनारा करता रहे,
चाहे मैं अपने से ही त्रस्त रहूँ,
पर मैं इन सबसे हड़कूंगा नहीं,
अडिग रहूँगा, सब कुछ सहूँगा,
देश के लिए मर मिटूँगा,
क्योंकि मैं ऋषियों की संतान हूँ।
देश के लिए हथियार भी उठाउँगा,
देश के लिए जान भी दूँगा,
देश के लिए प्राण भी लूँगा,
देश के लिए सबकुछ सहूँगा,
देश के लिए सब कष्ट सहँगा,
क्योंकि मैं ऋषियों की संतान हूँ।
न भय है मुझे मर जाने की,
न भय है मुझे किसी के सताने की,
मेरा लक्ष्य है मानवता बचाने की,
जज्बा है अन्याय के विरूद्ध लड़ने की,
क्योंकि मैं ऋषियों की संतान हूँ।
………………. मनहरण