क्षण भर
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(1)
किसके मन का ताला तोड़ें?
किससे अपना नाता जोड़ें!
खण्डित है मानवता सबकी
कहाँ-कहाँ अपना सिर फोड़ें?
(२)
हर सुन्दरता गौर वर्ण है
हार गया इसलिए कर्ण है।
पंच-तत्व की यौगिक कृष्णा
अत:आज भी शुद्ध-पर्ण है।
(३)
आकर्षण से मोहित वह था
सत्ता हेतु तिरोहित वह था।
वादे,कसमें इतना काटा,इतना काटा
रूह से बिलकुल लोहित वह था।
(४)
न्यायविदों के न्यायालय में
तान खड़ा गरदन अपराधी।
मची हुई संरक्षक के घर आपाधापी।
न्याय का प्रण,गले में अटका फांसी।
(५)
किससे नाम,पता हम पूछें?
किसका कहो खता हम पूछें?
मिथ्या सबके सिर चढ़ बोले।
क्या-क्या और बता हम पूछें?
(६)
उसका सत्य कहाँ हम पूछें,
किस्मत कहाँ-कहाँ हम पूछें।
दावा उसका इतना पूरा
सुघड़,साफ जहाँ हम पूछें।
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