क्षणिक बचपन
शीर्षक – क्षणिक बचपन
विधा – कविता
परिचय – ज्ञानीचोर
शोधार्थी व कवि साहित्यकार
मु.पो. रघुनाथगढ़,सीकर राज.
पिन 332027
मो. 9001321438
जीवन की सरगम साँसों में
खिल उठे है नवगान फिर!
आते-जाते लम्हों में सदा
लौट आती बहार-ए-बहर फिर!
बच्चों – सी मुस्कान लिए
बीता हर लम्हा गुजरा साँसों से
तार जोड़ने को आतुर रिश्तें!
चमक उठी झाँक लबों से धवल
हरीभरी मोती सी मुस्कान फिर!
क्या खोया जीवन – सालों में
गणना न थी इस जीवन में
पाया है जो खास आज हे दैव!
कर्ज है इन साँसों पर
ऋणमुक्ति का कोई उपाय नहीं।
मात-तात के विस्तृत उर-नभ में
पंख फैलाकर उड़ी सदा
लौटा है वो आज दिवस हे दैव!
लौट सकी न वो अठखेली-अलबेली
शुभ अवतार महतारी आज
संदेश शुभ सकल जगत में है
बधाई देकर जीवन फिर मुस्कान
लौट आया क्षणिक बचपन फिर!