“क्षणिका”
दोस्ती कभी नहीं मिटती;दबी रहती है,मन के भीतर मौक़ा मिलते ही छलक जाती है:-
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“क्षणिका”
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दोस्त का संदेश आया
कुछ ठहाके
गूँज गये
ज़हन में,
कुछ गालियाँ
उछलीं,
छीन कर सिगरेट ,
उड़ाये छल्ले
हुआ
सब धुँआ धुँआ
दिल भर आया,
रोया मैं,
खूब रोया,
मन हल्का हुआ;
याद नहीं ।
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राजेश”ललित”शर्मा
२९-१-२०१७
१:०१
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