क्षणिकाएँ
(1)
मानव-जीवन ,
ज्यों-सरिता है।
आँसू त्यों-
पूरी कविता है।
(2)
मानव-जीवन सागर है ।
भरी ज्ञान की गागर है।
गोता लेते गोता-खोर ।
बाकी चोरी करते चोर ।
(3)
आँसू समझो
धर्म-ग्रंथ है।
प्रेम ही केवल,
एक पंथ है।
-ईश्वर दयाल गोस्वामी
कवि एवं शिक्षक।