Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2024 · 1 min read

क्षणिकाए – व्यंग्य

1 इंजीनियर
वो नान वेज खूब खाता है
वेज भी उसे भा जाता है
जो मिल जाए उसे
वो जमकर खाता

2 डाक्टर
बहुत यह अन्याय हो गया
गंभीर बिमारी का उसे भान हो गया
बडे से अस्पताल की शान मे
उसके साथ पूरे गरीब परिवार का सम्मान खो गया

3 व्यापारी
सामान आना और जाना है
बस ग्राहक को लुभाना है
जहर हो या बारूद का कारोबार
जेब का पैसा गल्ले मे आना है

4 वकील
काले रंग से ढप जाय काला सच
तर्क के तराजू की तूती बजती
झिझक और लिहाज के ज्ञान से
अक्सर न्याय की कुर्सी है भटकी

5 लेखक
कल्पना की लेखनी बुन रही शब्दो का जाल
भटकती राह को संवारने का करती कमाल
बांट कर ज्ञान ओरो को अक्सर दूर रह जाता
खुद उस ज्ञान को जीवन मे उतारने का ख्याल

संदीप पांडे”शिष्य” अजमेर

Language: Hindi
3 Likes · 138 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Sandeep Pande
View all
You may also like:
बहुत प्यार करती है वो सबसे
बहुत प्यार करती है वो सबसे
Surinder blackpen
आदमी का वजन
आदमी का वजन
पूर्वार्थ
बड़े ही फक्र से बनाया है
बड़े ही फक्र से बनाया है
VINOD CHAUHAN
मैं सरिता अभिलाषी
मैं सरिता अभिलाषी
Pratibha Pandey
मैं 🦾गौरव हूं देश 🇮🇳🇮🇳🇮🇳का
मैं 🦾गौरव हूं देश 🇮🇳🇮🇳🇮🇳का
डॉ० रोहित कौशिक
* सामने आ गये *
* सामने आ गये *
surenderpal vaidya
"सागर की बेटी"
Dr. Kishan tandon kranti
इच्छा और परीक्षा
इच्छा और परीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*** मां की यादें ***
*** मां की यादें ***
Chunnu Lal Gupta
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ऐसे थे पापा मेरे ।
ऐसे थे पापा मेरे ।
Kuldeep mishra (KD)
4623.*पूर्णिका*
4623.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुंदेली दोहे-फतूम (गरीबों की बनियान)
बुंदेली दोहे-फतूम (गरीबों की बनियान)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
भूलने दें
भूलने दें
Dr.sima
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
मैं हूँ कौन ? मुझे बता दो🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आदमी बेकार होता जा रहा है
आदमी बेकार होता जा रहा है
हरवंश हृदय
विजयी
विजयी
Raju Gajbhiye
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
मुनाफ़िक़ दोस्त उतना ही ख़तरनाक है
अंसार एटवी
आज आंखों में
आज आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
ये जो मुहब्बत लुका छिपी की नहीं निभेगी तुम्हारी मुझसे।
सत्य कुमार प्रेमी
*कस्तूरबा गाँधी पक्षी-विहार की सैर*
*कस्तूरबा गाँधी पक्षी-विहार की सैर*
Ravi Prakash
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
अब मेरे दिन के गुजारे भी नहीं होते हैं साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
Ranjeet kumar patre
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
आओ हम तुम संग चाय पीते हैं।
Neeraj Agarwal
पीठ के नीचे. . . .
पीठ के नीचे. . . .
sushil sarna
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
मुहब्बत नहीं है आज
मुहब्बत नहीं है आज
Tariq Azeem Tanha
कुछ तो बाकी है !
कुछ तो बाकी है !
Akash Yadav
ये क़िताब
ये क़िताब
Shweta Soni
Loading...