क्षणिकाएं
133/A• क्षणिकाएं
1)रोगी को देख डाक्टर बड़ा खुश था
कहा आपरेशन तो बहुत जरूरी है ।
सोचा ठीक तो वैसे भी हो जाता,पर
नर्सिंग होम बनाने की मजबूरी है ।
2) शंकित के मन में चिंता अंकित हो गई,
पैसे ज़ेब में रखा,मंदिर में नहीं चढ़ाया ।
सोचा,भगवान से वेतन-वॄद्धि मांगी तो है ,
पर सेठ का क्या, बढ़ाया ,नहीं बढ़ाया ।
3) पत्नी बोली,”मास्टर जी,इनको अंग्रेजी सिखला दो,
भारत में रहकर भी ये अंग्रेजी पढ़ नहीं पाते हैं ।
खोखे पर साफ़ लिखा होता है,फिर भी ये
मूंछों पर ‘फेयरनेस’ क्रीम लगाते हैं । ‘
4)बहुत दिनों से बोलचाल बंद थी,
बीबी बड़ी बदमिजाज जो थी ।
लेकिन आज बोलना ही पड़ा ,
करते भी क्या,साली आ गयी थी।
5)लीपा-पोती कर चुके ,नकल किए तुम खूब ।
अब पछताए होत क्या, पढ़ो जेल में खूब ।
6) इक्कीसवीं सदी के मजनूँ परेशान थे,
क्या हो गया,आज तो आने वाली थी?
पर ,’ डाली ‘ कहीं और डोल रही थी ,
वहां भी तो किसी को वचन दे चुकी थी।
समय से ज्यादा संख्या का महत्व था,
वह भी तो लैला इसी सदी की थी ।
***************************************** राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,स्वरचित,24-10-04/13-06-17