क्वारेन्टीन से वैलेन्टाइन
इस आपदा के कोरोना काल में कुछ दिन पहले एक व्यक्ति अपने करीब 15 वर्षीय पुत्र को लेकर मेरे पास आया और उसने बताया कि डॉक्टर साहब इसको दिन में कई – कई बार दौरे पड़ते हैं । इधर कुछ दिनों से जब से यह करोना कॉल शुरू हुआ है यह अपने दांत भींच कर बेहोश हो जाता है और कभी – कभी अपने हांथ – पांव फेंकने लगता है । मैंने उसका परीक्षण करके बताया लगता है यह बच्चा किसी सदमे की वजह से मायूस और उलझन बेचैनी की स्थिति में रहता है और जब वह बहुत बढ़ जाती है और यह अपनी बात शब्दों के रूप में कुछ कह नहीं पाता तो इसे ये दौरे पड़ने लगते हैं ।
मेरी बात सुनकर उस व्यक्ति ने बताया कि साहब आपका कहना सही हो सकता है कुछ दिन पहले मेरे में कोरोना संक्रमण के लक्छण पाए गए थे जिसके कारण पुलिस की मदद से कार्यकर्ताओं ने मुझे मेरे परिवार से अलग एक जगह पर करीब तीन हफ्ते एक कोरोना केंद्र में क़वारेन्टीन के लिये रोके रखा था जहां मेरी जांचे सामान्य आने के पश्चात ही मुझे वहां से छोड़ा गया । मेरे वहां से लौटने के बाद से ही इसको ये दौरे पड़ रहे हैं । उस केंद्र में मुझे एक बड़े से हाते में रखा गया था । वहां दिन में मुझे तीन बार भोजन मिलता था ।वहां मेरे पास मोबाइल भी था । वहां का वातावरण शुद्ध एवं शांत था । मेरे एक करीबी मित्र रमेश ने उस दौरान मेरी और मेरे घर परिवार वालों की बहुत मदद की और मेरी जिम्मेदारियां उठाईं । वह और मेरी पत्नी मुझे कम से कम दिन में एक बार उस क़वारेन्टीन केंद्र में देखने के लिए अवश्य आते थे और कभी-कभी तो दिन में दो-तीन बार भी संयुक्त रुप से मिलने आया करते थे । मैं वहां की दूसरी मंजिल के ऊपर स्थित खिड़की से उन्हें नीचे खड़ा देखता था और उनसे बातें करता था । कभी-कभी वे मेरे लिए खाने पीने का छोटा मोटा सामान लेकर आते थे जिसे मैं डोरी लटकाकर ऊपर खींच लेता था । मैंने इसी तरह उस क़वारेन्टीन केंद्र में अपने तीन हफ्तों का समय गुज़ारा और मेरी जांचे सामान्य होंंने पर मुझे वहां से रिहा किया गया ।
वहां से रिहा हो कर घर पहुंचने पर मैंने पाया कि मेरी पत्नी घर पर नहीं है और मेरे बच्चों ने बताया कि वो घर पर आज सुबह से नहीं है और पता नहीं कहां गयी हैं । मैंने उसे अड़ोस – पड़ोस में ढूंढा तथा अपने मित्र रमेश को ढूंढ कर अपनी पत्नी के बारे में पता करने का प्रयास किया पर वह भी मुझे ढूंढने पर कहीं नहीं मिला । फिर अपनी ससुराल में पता किया इस पर उन लोंगों ने मेरी पत्नी के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं दी और उल्टा मेरी सास मुझसे उनकी बेटी के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने और उसे ठीक से ना रखने का आरोप लगाकर बिगड़ने लगी। मेरे पूंछने पर उसने मुझे बताया कि अब उसके बच्चे कभी-कभी उसके घर के करीब में ही स्थित उसकी ससुराल में अपनी नानी और मौसी से मिलने जाया करते हैं और वे लोग उन्हें बहुत प्यार भी करतीं है । मेरे बच्चों को भी वहां जाना अच्छा लगता है । वहां मेरी साली इनकी देखभाल और खिलाती पिलाती भी है ।
मैंने उसके बच्चे की बीमारी की समस्या का निदान बताते हुए उसे परामर्श दिया कि इस बच्चे को अधिक ध्यान देने और प्यार की आवश्यकता है अब तुम किस प्रकार से करोगे यह तुम्हारी अपनी परिस्थितियों पर निर्भर करता है । मेरी बात सुनकर उसने मुझे बताया
‘ सर मुझे इधर उधर से दबाव पड़ रहा है कि मैं अपने परिवार की देखभाल के लिए अपनी छोटी साली से विवाह कर लूं जो कि मेरे कोरोना क़वारेन्टीन प्रवास के चक्कर में उसी केंद्र में उसे भी मेरे ही साथ उसी हाते में दूसरी ओर के हिस्से में में रखा गया था । ‘
फिर उसने रहस्यमयी अंदाज़ में मुझे बताया कि तबसे उसने अपने मित्र रमेश एवम अपनी पत्नी से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया पर वे कहीं नहीं मिल सके हैं तथा रमेश और उसकी पत्नी के मोबाइल भी अब बंद रहते हैं । उसे इस बात का संदेह है कि उसके क़वारेन्टीन केंद्र में रहने की अवधि के बीच उसके मित्र रमेश एवं उसकी पत्नी के बीच अंतरंगता बढ़ गई जिसके फलस्वरूप उन्होंने यह निर्णय लिया तथा मेरी पत्नी मेरे मित्र रमेश के साथ भाग गई है । इस घटना के बाद से ही मेरा एवं मेरे बच्चों का मन बहुत उदास रहता है ।
मेरे पूंछने पर कि कभी तुम्हें इस बात का आभास नहीं हुआ कि उन दोंनों के बीच कुछ ऐसा भी घटित हो सकता है । उसने मुझे बताया –
सर कभी-कभी मैं सोचता हूं कि मैं कितना मूर्ख था कि मैं यह बात भी नहीं समझ सका कि जब कभी क्वॉरेंटाइन केंद्र से मैं अपने मित्र रमेश एवं अपनी पत्नी को फोन करता था तो उनके कॉलर ट्यून में परस्पर क्रमशः स्त्री एवं पुरुष के स्वरों में मुझे निम्न गाने का संगीत क्यों सुनाई देता था । उस गाने के बोल थे
‘ मैं किसी और का हूं फ़िलहाल , कि तेरा हो जाऊं / कि तेरी हो जाऊं ।’
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सदा से होता आया फिल्मों एवं फिल्मी गानों से प्रेरित होकर युगल प्रेमी जोड़ों का घर से पलायन मेरी दृष्टि में कोई नई बात नहीं है । मेरे इस वृत्तांत में नीचे दिए गए उनकी कॉलर ट्यून के फिल्मी गीत का उद्धरण कितना प्रेरणादाई रहा होगा ? इस बात का निर्णय मैं अपने सुधी पाठकों के विवेक पर छोड़ता हूं अतः आप लोग इन गानों को परस्पर स्त्री एवं पुरुष के स्वरों में सुन कर आनंद लेते हुए खुद ही फिलहाल फैसला लें और मुझे भी सलाह दें कि अगली बार जब वह व्यक्ति मुझसे मिलने आये गा तो फिलहाल किन शब्दों से उसकी आपदा को अवसर बनाने हेतु मैं उसे सांत्वना दूं ।