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9 May 2023 · 1 min read

#क्रोध पर दोहे

क्रोध कभी मत कीजिए, करे शाँति को भंग।
शीतल मन नित राखिए, जीवन भरे उमंग।।

शत्रु क्रोध सबसे बड़ा, पल में मति दे मार।
मिली जीत को छीनकर, दिखलाए यह हार।।

हृदय-घात हेतू बने, क्रोध करे नुकसान।
लार स्त्राव भी कम करे, सूखे मुख का गान।।

क्रोध किया रावण मरा, मरा इसी से कंश।
डसता ऐसा नाग सम, भरे नहीं फिर दंश।।

रक्तचाप को तेज़ कर, देता रोग अपार।
क्रोध भूलकर मत करो, पड़े सभी पर भार।।

#स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
#आर. एस. ‘प्रीतम'(राधेय-श्याम ‘प्रीतम’)
#वी.पी.ओ.जमालपुर, ज़िला भिवानी
राज्य हरियाणा

Language: Hindi
1225 Views
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