क्रिकेट की बात “सौरभ” के साथ
तुलना किसी भी चीज की तुलना हम कैसे करे ,साधारणतया वर्तमान परिवेश में तुलना करना किसी के लिए भी कोई बहुत बड़ा कार्य नही ।गली, मोहल्ले ,चौराहे,नुक्कड़ सभाओ में आपको आलोचक मिल जाएंगे जो मिनटों में मोदी जी हो या गांधी जी ,लालूजी हो या कालू जी को हासिये पर खड़ा कर देंगे ।
सच मानिए तुलना करना हम और आप जानते ही नही है, कोई भी चीज हो उसका एक पैमाना होता है एक guidline होती है जिसको फॉलो करना होता है।
तुलना करने के भी parameters होते है।दो भिन्न भिन्न बस्तुओ की आप तुलना नही कर सकते है।तुलना भी किसे एक नियत मानक के सापेक्ष की जाती है।
क्रिकेट भारत मे सभी खेलो में सबसे अधिक लोकप्रिय खेल है।और भारतीय युवा हो या वृद्ध सभी को क्रिकेट की b c d पता है।कोहली हो या सचिन ,धोनी हो या दादा,द्रविड़ हो या रहाणे मतलब जो लोग क्रिकेट को सन19 वी सदी से देखते आ रहे है उन लोगो की दिनचर्या में क्रिकेट सामिल थी ।वो लोग तो कुछ हद तक इन प्लेयर्स की तुलना कर सकते है और वे तुलना करने लायक भी है।पर मगर वो लोग जो कल पैदा हुए हो और जिन्हें cricket की c तक नही पता है वो लोग मेरे खयाल से सिर्फ इस सदी के 10-11 players को ही जानते है उनके अनुसार गांगुली ,सचिन,द्रविड़,हो या सहवाग वर्तमान प्लेयर्स की तुलना मे काफी खराब थे।मगर सुनो ओ दुदमुहो जैसा कि मैंने कहा कि तुलना समान parameters पर ही कि जानी चाहिए।
सन 1990 के बाद का समय भारतीय क्रिकेट का सबसे खराब और सबसे अच्छे समय मे से था ।क्योंकि एक तरफ झा match fixing के आरोप में तीन तीन भारतीय दिग्गज फसे हुए थे और भारतिय क्रिकेट अंधकार मैं नज़र आ रही थी उस समय भारत को गांगुली जैसा पारस नही मिलता तो क्या भारत आज इस मुकाम पर होता।गांगुली के leadership का अनुमान उनके इस कथन से लगा सकते है जो उन्होंने कप्तान बनने के तुरंत बाद दिया था कि-उनका असली लक्ष्य उस समय top पर बैठी टीम australia को हराना था ना कि पाकिस्तान और अन्य टीमो को।जिसका मतलब अगर आप ऑस्ट्रेलिया को हर देते है तो बाकी teams तो आप हरा ही दोगे।
अब इन दुदमुहो को ये भी नही पता होगा कि उस समय ऑस्ट्रेलिया के पास mcgrath, ब्रेट ली का पास attack था तो बल्लेबाजी में पॉइंटिंग,लेहमन,गिलक्रिस्ट, hayedwn, मार्टीन जैसे धाकड़ बल्लेबाज थी।यही नही पाकिस्तान ,न्यूज़ीलैंड, अफ़्रीका, wi, सभी टीम्स के पास बेहतरीन बैटिंग और बोलिंग थी ।श्री लंका जाइए टीम उस समय शिखर पर थी तो बताइए उस परिप्रेक्ष्य में भारतीय टीम में ने सर्वाइव किया और 2003 के वर्ल्ड कप में नम्बरा दो की टीम बनकर उभरे ये क्या किसी करिश्मे से कम था क्या।नेटवेस्ट ट्रॉफी तो ध्यान ही होगीअगर नही ह ध्यान तो मानो आप अभी उन दुदमुहो में से एक है।
धन्यबाद आपका परम मित्र सौरभ दुबे।।