क्रांति
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शांति दूत हम सदा कहाये,
हिंसा का भी त्याग किया।
पाक पड़ोसी ने इससे ही ,
बार बार है बार किया।।
धैर्यशील हम बने रहे हैं,
अनुज समझ छोटा अपना।
पाक विरोधी के संग मिलकर,
देख रहा अद्भुत सपना।।
वीरों का सम्मान समझ में,
करना सीख नहीं पाया।
बिगुल क्रांति का मजबूरी में,
भारत ने भी गुंजाया।।
आतंकी हमलों को झेला,
नहीं क्रांति की बात करी।
माँफ किया पत्थरबाजों को,
कभी न उन पर धार धरी।।
देशद्रोहियों ने भारत में,
क्रांति मचायी भारत में।
देशी सैनिक मारे चादर,
खूब चढ़ायी जारत में।।
ऊब गये यह देख देख कर,
तभी अहिंसा को त्यागा।
एक शीश के बदले सौ-सौ,
शीश पाक से माँगा।।
शांति नहीं अब क्रांति चाहिए,
बच्चा बच्चा बोल रहा।
सीमा पर सैनिक तोपों के,
मुँह बेबस हो खोल रहा।।
क्रांति बिगुल की धुन सुनकर के
चीनी शासन डोल रहा।
आतंकी संगठन आज जय जय
हिन्दुस्तां बोल रहा।।
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कौशल कुमार पाण्डेय “आस”
दिनांक~28 नवम्बर 2017/भौमवार।
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