क्रांतिकारी विरसा मुंडा
क्रांतिकारी बिरसा मुंडा
जन्म-१५नवम्बर-१८७५
अंग्रेजों, पुलिस,क़िश्चियन मिशनरियों,भू-पतियों एवं महाजनों के शोषण व अत्याचारों के खिलाफ छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा आदिवासियों के विद्रोह १८९९-१९०० का नेतृत्व किया
३ फरवरी १९००को वंदी बनाया गया
९ जून १९०० को रांची जेल में,जहर दिया गया वीरगति को प्राप्त हुए।
बिरसा मुंडा जन नायक थे, महान क्रांतिकारी थे
अंग्रेजों जागीरदारों के खिलाफ, क्रांति के नायक थे
बिहार राज्य अब झारखंड, मुंडा आदिवासी समाज वनों में रहते थे
खेती किसानी और जंगल से, आजीविका चलाते थे
अंग्रेज़ों ने वन संपदा के लिए, जमीन से बेदखल किया
घर जंगल जमीन से, उनको बाहर खदेड़ दिया
मनमानी लगान वसूलते थे, और बेगारी करवाते थे
अंग्रेज और जागीरदार, अत्याचार ढहाते थे
धर्म भी परिवर्तित कर उनका, उनको ईसाई बनाते थे
अत्याचार और दमन से,विरसा मुंडा को आक्रोश हुआ
अपनी धरती अपना जंगल, आजादी को बेचैन हुआ
संगठित किया मुंडाओं को, क्रांति का आह्वान किया
बार बार हराया अंग्रेजों को, जागीरदारों को भी परास्त किया
शहीद हुए कई आदिवासी, अंग्रेज भी कई मारे गए
नाक में दम कर दिया बिरसा ने, आखिर मुखबिरी से गिरफ्तार हुए
जेल में जहर दे दिया उनको, और मुंडा जी शहीद हुए आदिवासी समाज में उन्होंने, कुप्रथाओं को तोड़ा था
समाज सुधार किया, समाज का रुख मोड़ा था
अमर शहीद बिरसा मुंडा, जो अपनी अस्मिता को लड़े
संस्कृति अस्मिता बचाई अपनी,मातृभूमि के लिए लड़े
अमर रहेंगे बिरसा मुंडा, अमर वीर बलिदानी
भारत माता को गर्व है तुम पर ढेरों तुम्हें सलामी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी