क्यो रोता किसान
क्यो रोता किसान
क्यो दहकता किसान
कभी बह गयी फसल
कभी सुख गया धान
क्यो रोता किसान
क्यो दहकता किसान
हरदम करते हम उनका अपमान
नेताओ को देते रहते सम्मान
क्यो रोता किसान
क्यो दहकता किसान
क्यो बेदना सहे किसान
बार बार ये कहे किसान
हम भी है इंसान
क्यो रोता किसान
क्यो दहकता किसान
दुनिया का जो पेट पाले
वो है आज दुसरो के हवाले
क्यो नही देते हम उनको उनका सम्मान
क्यो रोता किसान
क्यो दहकता किसान