Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2024 · 1 min read

क्यो तू रोता इस नश्वर संसार में ..

क्यो तू रोता ?
इस नश्वर संसार में,

हाड़ मांस का पुतला है तू,
खुद नहीं किसी के काम का,
खाक एक दिन हो जाएगा,
राख बचेगी पहचान है ये।

क्यो तू रोता ?
इस नश्वर संसार में,

अमर अजर है पुण्य कर्म तेरे,
भज ले नाम अपने श्याम का,
तेरी करनी तुझे है मिलनी,
जैसी करनी वैसी भरनी।

क्यो तू रोता ?
इस नश्वर संसार में,

ना कोई जग मे कुछ ले कर आया,
ना कुछ लेकर जाएगा,
उड़ जाएगा पंछी एक दिन,
तोड़ ये पिंजरा संसार से।

रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

3 Likes · 103 Views
Books from Buddha Prakash
View all

You may also like these posts

यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
Ajad Mandori
"यात्रा संस्मरण"
Dr. Kishan tandon kranti
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
Kanchan Khanna
*You Reap What You Sow*
*You Reap What You Sow*
Veneeta Narula
प्यार का उत्साह
प्यार का उत्साह
Rambali Mishra
दर्द देह व्यापार का
दर्द देह व्यापार का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
#शून्य कलिप्रतिभा रचती है
#शून्य कलिप्रतिभा रचती है
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
वर्षा रानी आ घर तु इस बार
वर्षा रानी आ घर तु इस बार
Radha Bablu mishra
जब कभी मैं मकान से निकला
जब कभी मैं मकान से निकला
सुशील भारती
4940.*पूर्णिका*
4940.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
अपने पुस्तक के प्रकाशन पर --
Shweta Soni
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भेज भी दो
भेज भी दो
हिमांशु Kulshrestha
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
Ajit Kumar "Karn"
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
इस शहर से अब हम हो गए बेजार ।
इस शहर से अब हम हो गए बेजार ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
Kumar lalit
बंधे रहे संस्कारों से।
बंधे रहे संस्कारों से।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
****उज्जवल रवि****
****उज्जवल रवि****
Kavita Chouhan
भारत का कण–कण
भारत का कण–कण
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
आपके बाप-दादा क्या साथ ले गए, जो आप भी ले जाओगे। समय है सोच
*प्रणय*
प्रतिशोध
प्रतिशोध
Shyam Sundar Subramanian
अद्भुत है ये वेदना,
अद्भुत है ये वेदना,
sushil sarna
!! शिव-शक्ति !!
!! शिव-शक्ति !!
Chunnu Lal Gupta
प्रेम दिवानी
प्रेम दिवानी
Pratibha Pandey
नव्य द्वीप का रहने वाला
नव्य द्वीप का रहने वाला
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कुदरत की मार
कुदरत की मार
Sudhir srivastava
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
Manisha Manjari
और धुंध छंटने लगी
और धुंध छंटने लगी
नूरफातिमा खातून नूरी
उसने कहा तुम मतलबी बहुत हो,
उसने कहा तुम मतलबी बहुत हो,
Ishwar
Loading...