क्यो तू रोता इस नश्वर संसार में ..
क्यो तू रोता ?
इस नश्वर संसार में,
हाड़ मांस का पुतला है तू,
खुद नहीं किसी के काम का,
खाक एक दिन हो जाएगा,
राख बचेगी पहचान है ये।
क्यो तू रोता ?
इस नश्वर संसार में,
अमर अजर है पुण्य कर्म तेरे,
भज ले नाम अपने श्याम का,
तेरी करनी तुझे है मिलनी,
जैसी करनी वैसी भरनी।
क्यो तू रोता ?
इस नश्वर संसार में,
ना कोई जग मे कुछ ले कर आया,
ना कुछ लेकर जाएगा,
उड़ जाएगा पंछी एक दिन,
तोड़ ये पिंजरा संसार से।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।