मन-मीत
मधुऋतु का आनंद भी देखा ,
देखी पतझर की भी रीत ।
सावन में झूले की पींगे ,
और गोरी का सावन गीत ।
जीवन के इस विकल चक्र में
जाने कब-कब हारी जीत ।
हृदय हुआ विश्वास बद्ध फिर
विरत हुआ क्यों मन का मीत ।
मधुऋतु का आनंद भी देखा ,
देखी पतझर की भी रीत ।
सावन में झूले की पींगे ,
और गोरी का सावन गीत ।
जीवन के इस विकल चक्र में
जाने कब-कब हारी जीत ।
हृदय हुआ विश्वास बद्ध फिर
विरत हुआ क्यों मन का मीत ।