क्यों है बेचैन?
मन को करके शांत ,पथ पर चल तू मौन ,
क्यों है बेचैन ? रोकता तुझे है कौन?
सुनकर सब की बात,
चल धीरज के साथ।
जो लगे ठीक,
चुन वही सटीक।
क्यों डरे तू ?
क्यों लड़े तू?
है सब कुछ ठीक,
क्यों ना तुझे यकीन !
नित कर्म कर
होकर निडर
लक्ष्य निर्धारित तू कर
अब ना ठहर
पथ पर अडिग
तू बढ़े चल
फिक्र छोड़ तू
ना अब देर कर।
न रुकना तुझे
ना झुकना तुझे
स्वच्छंद भाव से
बस चलना तुझे
बस ध्यान रख
एक बात का
छोड़ना ना दामन
तू प्रेम का ।
है कुछ नहीं बिगड़ा अभी
वक्त है तू संभल जा अभी
गम ना कर तू पिछली बात का
शुरुआत कर तू आज का
है कुछ नहीं खोया तूने
इस बात से क्यों
अनजान तू….
इक बात मेरी मान तू…..
मन को करके शांत, पथ पर चल तू मौन,
क्यों है बेचैन ? रोकता तुझे है कौन?