*क्यों ये दिल मानता नहीं है*
आँख भर जाती है याद में उसकी
दिल तड़पता रहता है याद में उसकी
कब होगा उसे अहसास इस बात का
कोई जी रहा है याद में उसकी
फिर भी क्यों ये दिल मानता नहीं है
है नहीं वो मेरा, जानता नहीं है
मेरी आँखों में बसी है सूरत उसकी
हो आसपास तो छा जाती है महक उसकी
दिल ये मेरा हो जाता है मदहोश
दिख जाए कहीं एक झलक उसकी
फिर भी, क्यों ये दिल मानता नहीं है
है नहीं वो मेरा, जानता नहीं है
शरमा जाती है हिरणी भी देखकर चाल उसकी
जल जाती है देखकर बहार ख़ूबसूरती उसकी
बिजलियाँ गिरती है मुझपर
जब भीग जाती है बारिश से साड़ी उसकी
फिर भी, क्यों ये दिल मानता नहीं है
है नहीं वो मेरा, जानता नहीं है
देती है जाने कितनी खुशियाँ ये मुस्कान उसकी
न दिखे दो दिन तो रहती है मुझे तलाश उसकी
लगता नहीं कुछ दिन ही हुए है मिलकर उसे
लगती है कई जन्मों की पहचान मुझसे उसकी
फिर भी, क्यों ये दिल मानता नहीं है
है नहीं वो मेरा, जानता नहीं है।