क्यों मिली है
क्यों मिली है आज ये तन्हाइयाँ
जो चलाये दिल पे मेरे छुरियाँ
हुश्न तेरा जो निखरता ही गया
क्योंकि थी इस प्यार में गहराईयाँ
तुम चले जाते कहाँ दिल समा
पास आकर क्यों बनाई दूरियाँ
हो चुकी है जब मुहब्बत आपसे
क्यों न दी फिर प्यार में अर्जियाँ
रोग अब नासूर बनता ही गया
अब तुझे तो बस मिलेगी झिर्कियाँ
छा गयी मदहोशियाँ जब प्यार की
खूब की थी आपने बदमाशियाँ
जीत जाये जंग मुहब्बत जब कभी
इसलिये तुमको मिलेगी तालियाँ