क्यों आयी तू मेरी ज़िन्दगी में.
था मैं अकेला उन दिनों में
न घरबार न रिस्ता
न दोस्त न दुश्मन.
था मैं अकेला उन दिनों में
यादनहीं कब मुलाक़ात
हुई तुछ से पहलीबार.
नहीं याद है कब हम
दोनों मिलके ज़िन्दगी की राह में
एक साथ चलने लगा.
न याद है घुशी का
दिन और याद नहीं है
तेरा चेहरा भी
न याद है हमारी
आखिरी मुलाक़ात.
पागल बन गया
मैं तेरे बिना
क्यों मुछे अकेले छोड़कर
चली गयी तू
जब तुम अलबिदा कहकर
चली गयी मेरी ज़िन्दगी से
हमेशा केलिए
तब से मैं बन गया पागल.
मुछे याद नहीं कुछ भी.
क्यों आयी तू मेरी ज़िन्दगी में
अकेला रहनाही अच्छा था.
क्यों छीन लिया मेरी शांति.