” क्योंकि , चांद में दाग़ हैं ! “
सूरज की किरणें ,
जीवों और प्राकृतिक के लिए उपहार हैं ।
रोज प्रातः करते पुजा उसकी ,
देते जल हर बार हैं ।
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !
करते उसकी पुजा कभी – कभार हैं ,
कोई माने या ना माने ,
इसी के उदय से करवा चौथ या पतिव्रता त्योहार हैं।
बढ़ते तापमान के साथ ,
सूर्य की ऊर्जा ज्वलनसार हैं ।
चांद पुरा हो या आधा ,
उसकी रौशनी में सरोकार हैं ।
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !
तभी तो ईद का चांद हैं।
दोनों का निवास आसमान हैं ,
उगते सूरज को करते नियमित नमस्कार हैं ।
चांद के लिए मुहूर्त साल में एक – दो बार हैं ,
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !
खुबसूरती की तुलना जैसे चांद हैं ,
देख दाग़ को उठते कई सवाल हैं ।
हर वस्तु की प्रवृत्ति ,
उसके अस्तित्व की पहचान हैं ।
वास्तविकता से परे ,
फंसे उलझनों में ,
कैसी ये मानसिकता , क्या ये विचार है ?
क्योंकि , चांद में दाग़ हैं !
– ज्योति