“क्यू काटते है पेड”
कया पेड बोलते है,
कभी सुना है आपने.
सुनो कभी उनका दर्द,
जब हम उन्हे काटते है…
कया बिगाडा है उन्होने हमारा,
बाहे फैलाके हमे सब दिया है.
इतना सब कुछ देणे के बाद,
हमने क्यू उन्हे काटा है..
फुल देते है,फल देते है,
कडी धूप मे छांव देते है.
कभी कुछ नही मांगा है उन्होने,
फ़िर भी क्यू काटते है हम उन्हे…
ऐसाही रहा तो,
वो दिन भी दूर नही.
पानी के एक बुन्द के लीए,
भटकते रहेंगे हम दुर दुर…