क्या हो मेरे तुम
क्या हो तुम मेरे लिए मैं नहीं जानती
तेरे सिवा किसी और को नहीं दुआ में मांगती
तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती
तु बस गया है सीने मे मेरे
जी भर के तुझे देखूं
फिर भी ये दिल भरता नहीं
कोई और तुझे देखे ये दिल सहता नहीं
क्या हो तुम मेरे लिए मैं नही जानती!
हर रोम- राम में तु हैं बसा
तेरे लिए हैं चाहत मेरी
सब कुछ कुर्बान कर दूँ तुझ पे मैं
हर खुशी लुटा दूँ मेरे यार पे
क्या हैं तु मेरे लिए मैं नहीं जानती!
मेरी नजर बस तुझ पे ही रुके
तुझ से और क्या ही कहूँ
जान बन गया हैं तु मेरी
सातो जन्म मै तेरी ही बन कर रहूँ
तुझे रब से भी छीन लाऊँ
अगर जुदा कोई मुझ से करे!