क्या होती है माँ !!
मैं कैसे करूँ बयां !
क्या होती है माँ ?
मेरा तो सारा जहाँ|
है बस मेरी माँ ||
धूप अगर लग जाये तो |
आँचल फैला ,दे छाया माँ ||
मुझे दर्द में देख कर |
जग से लड़ जाये मेरी माँ ||
सागर भर के शब्द लगाकर |
जो ममता ,अंकित कर पाऊँ ना ||
यदि गागर में सागर भर भी दूँ |
तब भी ,प्रेम तेरा लिख पाऊँ ना ||
कैसे समझाऊँ मैं ,जग को माँ |
ऐसा क्या लिख जाऊँ, माँ ||
मैं कैसे करूँ बयां !
क्या होती है माँ ?
मेरा तो सारा जहाँ|
है बस मेरी माँ ||
अंकित रस्तोगी
गोला गोकर्णनाथ खीरी