क्या होगा……?
क्या होगा……?
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रुकी न गर महामारी तो फिर अंजाम क्या होगा,
हैं जो गर्भ में उनका न जानें राम क्या होगा।
बड़ी मुश्किल घड़ी है मुफलिसी का दौर आया है,
ना जाने रहनुमा का अब नया पैगाम क्या होगा।
जरूरी काम भी हो गर तो उनके पास मत जाना,
महज़ बातें बनाते हैं जो उनसे काम क्या होगा।
जो सेहत लड़खड़ाए साँस सीने में उलझ जाए,
तो सेहत फिर से पाने में शिफ़ा का दाम क्या होगा।
वही बख्शेगा साँसें “दीप” सबके ग़म मिटा देगा,
ख़ुदा के नाम से पहले किसी का नाम क्या होगा।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
पालघर, महाराष्ट्र