क्या हम बेटियों के रखवाले हैं…??
रूप धरे जो इंसान का
काम करे वो शैतान का
कहाँ गयी अब मानवता
दिखती बस दानवता
हर सिम्त एक शोर है
सबका बेटी पे ही ज़ोर है
इंसान हुए अजब मतवाले हैं
क्या हम बेटियों के रखवाले हैं..???
लाडली को नोचा जाता,
कूड़े की जैसे फेंका जाता
हाल अपना सुनाए किसे
दर्द अपना बताए किसे
क्यूँ हम सब चुपचाप हैं
हम ऐसे भी न लाचार हैं
सब के खेल अजब निराले हैं
क्या हम बेटियों के रखवाले हैं..???
उठो सब एक आवाज़ लगाओ
जहाँ बेटी आए, प्राण लगाओ
एक ऐसी आवाज़ बुलंद करो
अब लाज़िम है भारत बंद करो
बेटी से अब खिलवाड़ न होने पाए
कैसा भी अत्याचार न होने पाए
कैसे वो ख़ुद को सँभाले हैं,
क्या हम बेटियों के रखवाले हैं…???
~#हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️