क्या से क्या हो गया
देखते देखते क्या से क्या हो गया
बावफा था जो वो बेवफा हो गया
आग तो थी जली रोशनी को मगर
हर तरफ बस धुआँ ही धुआँ हो गया
नाम मेरा बड़ा क्या हुआ देखिए
मेरा उस्ताद मुझसे खफा हो गया
कैसे करते भरोसा हम उस शख्स का
मेरी खुशियों से जो गमजदा हो गया
जो भी ओझल हुआ जीस्त की कैद से
भूली बिसरी हुई दास्ताँ हो गया
मतलबी जहनियत एक होती रही
आदमी आदमी से जुदा हो गया
जिसकी बातों पे हँसती थी दुनिया कभी
उसका हर शब्द अब फलसफा हो गया
वो क्या बिछड़ा मुझे छोड़कर यूँ लगा
मेरे भीतर कोई गुमशुदा हो गया
रहजनी कर रहा था जो ‘संजय’ कभी
सारी दुनिया का वो रहनुमा हो गया