** क्या से क्या हो गई ?**
क्या से क्या हो गई ?
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छोटी थी,
किसी की लाडली थी ।
हँसती थी,
खिलखिलाती थी ,
क्यूं में बड़ी हो गई ?
*
आँखों में सपने थे,
दुनियाँ लगते अपने थे ।
रंग बिरंगे जहाँ थे
मन में कितने पंख लगे थे।
क्यूं में बड़ी हो गई ?
*
अब न वो हँसी है
न मन से आती खुशी है
रात- दिन एक सी है
पैरों में पड़ी बेड़ी सी है
क्यूं मैं बड़ी हो गई ?
*
नैनों से निकले अश्रु धारा
पोंछता आंचल ही हमारा
दर्द सुनता कौन हमारा
सब चाहे बस हँसी प्यारा
क्यूं मैं बड़ी हो गई ?
*
अब मुझे जागना होगा
सबको भी जगाना होगा
एक दृढ़ संकल्प लेना होगा
हाँ,अपने लिए भी जीना होगा
क्या हुआ गर मैं बड़ी हो गई ?
@पूनम झा।कोटा,राजस्थान
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