क्या शर्म
सर – ब – सर फाका करे क्या शर्म
चौकीदार फ़क़त वादा करे क्या शर्म
नेता लगे पड़े नोट कुर्सी इंहिज़ामी में
भूख नादारी बदन डाका करे क्या शर्म
रू – ब – रू उड़े चीथड़े अज़्मत ए दस्तार
फिर भी जौर-पशेमाँ पताका करे क्या शर्म
वो जो थकते नहीं थूकने से हर रिवायत पर
वही पैसे पे हदीस-ए-ख़ुराफ़ा करे क्या शर्म
जिसके मुहब्बत में खर्च कर आया उम्र कुनु
उसके बच्चे राह में मामा मामा करे क्या शर्म