क्या रुक नहीं सकते
क्या रुक नहीं सकते, एक रात के लिए।
दिल में उमड़ते जज़्बात के लिए।
आंखों में जो अश्क, आ ही गये है तो
कौन जिम्मेदार ऐसे, हालात के लिए।
दूर रहने वाला ,क्यों टकराया दिल से
रुका भी नहीं किसी सवालात के लिए।
तुम से बेवफ़ाई , मैं करु भी तो कैसे
मुनासिब नहीं मेरी, औकात के लिए।
कोई रास्ता दिखा, कोई राह तो बता
इश्क अच्छा नहीं ख्यालात के लिए।
Surinder Kaur