क्या मुद्दा मुद्धाहीन को मिल गया उपहार
मुझे अभी तक ये समझ नहीं आ रहा की असली में किसानों की समस्या अगर सही है तो पूरा देश क्यो नहीं आंदोलन कर रहा है और पोलिस के जवानों को क्यो मारा इनमें से कुछ लोगो ने जबकि जवान और किसान एक ही जगह ही मिट्टी से ही तो पेश मेरी नई पेशकश
जय जवान जय किसान
क्या मुद्दा है या मुद्धाहीन को मिल गया उपहार
मोदीजी सामने आओ कर कुछ तुम ही उपचार
हमकों समझ नहीं आया पेंशन बंद किया क्योँ
अटल जी गए तो कोंग्रेस ने भी क्या किया यार
नेताओं की पेंशन रही चालू हम संविदा पे हुए
सरकारी महकमें एक एक बेचती रही सरकार
ग़लती हमारी इतनी अधिक हम एक नहीं हुए
कभी आरक्षण की बेली पर चढ़ा किया बेकार
एक एक कर कर रोज़गार छीन गया हमारा यूँ
स्मार्ट फोन से स्मार्ट कर कर किया है बेरोजगार
एक ही घर के पैदा दो बच्चे एक किसान हुआ है
एक जवान हुआ फ़िर क्यो न समझते यह पुकार
हाँ हंसकर बेच डालो सरकारी महकमें मोदी जी
रेलवे क्या जीवन बीमा सब करते यहाँ भृष्टाचार
बस एक सवाल का जवाब कवि अशोक पूछता
कब हिंदुस्तानी सुधरेंगें कब मुद्दा होगा रोज़गार
आये नेता पाँच साल बाद एक ही बात बोलो यही
बन्द करो पेंशन अपनी तब हो नेता तुम स्वीकार
हिन्दू मुस्लिम मंदिर मस्ज़िद पर वोट नही तुमको
नहीं भारत की जनता मुद्दों से होगी अब लाचार
मोदी राहुल सोनिया केजरी ममता दी सब सुनलो
घर मे घुसना तभी जब शर्त हमारी तुमको स्वीकार
लेंगे शपथ पत्र तुमसे हम सौ रुपया वाले नेताजी
मनगढ़ंत मुद्दे तुम्हारे अब करें मिलकर अस्वीकार
अशोक सपड़ा हमदर्द