क्या तुम गरीब हो
क्या तुम गरीब हो?
जिसे पीना पड़ता है हरवक्त अर्क
क्या तुम अमीर हो?
जिसे पड़ता नहीं कोई भी फर्क
क्या तुम नये युग के गांधी हो?
तब तो तुम्हें मरना पड़ेगा
क्या तुम उगते सूरज हो?
तब तो तुम्हें ढलना पड़ेगा ॥
,
मुझे पता नही
ये मैं क्यूं कह रहा हूं
सच तो ये है
मैं ही हूं वो, जो ये सह रहा हूं
,
मुझे जलन है तुमसे
क्योंकि तुम हंस लेते हो
मै रोता ही रहता हूं
तुम कह लेते हो
घर के बोझ ने मुझे दबा दिया शायद
या मैने खुद को दबा लिया शायद,
,
तुम कैसे जीत जाते हो जमाने से
क्यूं तुम्हें कुछ नहीं होता,इनके ताने से
,
कैसे इनकी गालियाँ सुन
मीठे गीत गा पाते हो।
दोस्त कहो ना……
कैसे मुस्कुराते हो ॥