क्या तुम आजादी के नाम से, कुछ भी कर सकते हो
क्या तुम आजादी के नाम पर, कुछ भी बोल सकते हो?
उन्मुक्त हो सभ्य समाज में, निर्वस्त्र टहल सकते हो?
अपनी अपनी आस्थाओं पर,चोट सहन कर सकते हो?
क्या तुम अपनी मां को,डायन कह सकते हो?
पूज्य और श्रद्धेय को,भला बुरा कह सकते हो?
फिर कैंसे अभिव्यक्ति के नाम पर, !!!
भावनाओं को आहत कर सकते हो?
किसी के देवी देवता महापुरुष को,कैंसे भी पेश कर सकते हो?
अपनी ओछी हरकत से, दुनिया में आग लगा सकते हो?
हे आजादी के नाम पर, ऊटपटांग हरकतें करने वालों
या सोची समझी साजिश से, नफ़रत द़ेष भरने वालों
अभिव्यक्ति की आजादी को, नफ़रत का न हथियार बनाओ
भावनाओं को आहत कर, एजेंडे अपने नहीं चलाओ